THE BEST SIDE OF SIDH KUNJIKA

The best Side of sidh kunjika

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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥

किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः

ओं ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।

There isn't a should recite Kavacham, Argala stotram, Kilakam or Rahasyakam Neither could it be essential to recite Suktam, Dhyanam, Nyasam as well more info as there is no should worship (every one of the previously mentioned are preliminary stotras that need to be recited right before looking at of Devi Mahatmya). These traces state that If your kunjika stotra is recited, there's no have to recite the any Many others.

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।

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